मित्रों ! एक रचना अपनी आवाज में प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसे आप पहले पढ़ चुके हैं , इस रचना का संगीत-संयोजन भी मैंने किया है | आप से अनुरोध है कि आप मेरे Youtube के Channel पर भी Subscribe और Like करने का कष्ट करें ताकि आप मेरी ऐसी रचनाएं पुन: देख और सुन सकें | आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि आप इस रचना को अवश्य पसंद करेंगे |
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सुनिए एक नई आडियो रिकार्डिंग
आप की जब थी जरूरत, आप ने धोखा दिया।
हो गई रूसवा मुहब्बत, आप ने धोखा दिया।
खुद से ज्यादा आप पर मुझको भरोसा था कभी;
झूठ लगती है हक़ीक़त, आप ने धोखा दिया।
दिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
हम करें किससे शिकायत,आप ने धोखा दिया।
बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।
पार जो करता 'अनघ' माझी डुबोने क्यों लगा;
कर अमानत में ख़यानत, आप ने धोखा दिया।
बहुत खूब ,सुंदर गजल; ...! बधाई
जवाब देंहटाएंRECENT POST आम बस तुम आम हो
बहुत सुंदर गजल.
जवाब देंहटाएंKhoob..... Behtreen prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति, अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंखुबसूरत गजल लिखा आपने ,धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदिल में रहकर आप का ये दिल हमारा तोडना ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव ...काश लोग एक दूजे के दिलों को समझें ...
भ्रमर ५
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल .. मुश्किल होती हैं ऐसी गजलें लिखना ...
जवाब देंहटाएंमेरी दाद कबूल करें ...
बहुत खुबसुरत गजल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। बधाई।।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मित्र।
जवाब देंहटाएंचर्चा में लेने के लिए मजबूर हैं।
आपका मैटर सलेक्ट नहीं होता है।
इसका ताला खोलिए मान्यवर।
बधाई भाई ,
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत ग़ज़ल , गुनगुनाने लायक !
बहुत सुंदर गजल.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत और सुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंप्रारम्भ में तो "आपकी आँखों में कुछ महके हुए..." की झलक लगी बाद में अलग ..। अच्छा प्रयास है ।
जवाब देंहटाएंbahut khoob gazal aur sangeet dono
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
Badhai
जवाब देंहटाएंबेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जवाब देंहटाएंजिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।
Bahut khoob !
क्या बात है .......बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर धुन में पिरोया है आपने रचना को. पर आप पर विश्वास रखिये. भविष्य में अच्छा ही देखने को मिलेगा.
जवाब देंहटाएंआप किस "आप" की बात कर रहे हैं ? ये रचना बहुत पुरानी है और पहले भी मेरे ब्लॉग पर आ चुकी है....
हटाएंबहुत ही खूबसूरत और सुन्दर प्रस्तुति !!
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंवाह जी !
जवाब देंहटाएंसाज-बाज के साथ अच्छा प्रस्तुतिकरण है...
बधाई !
बहुत सुंदर,प्रश्न ही उत्तर बन गये.
जवाब देंहटाएंयहां धोखा है---मिट्टी की महक,बरसाती बूंदे---बस अपने को सभांले रखिये!
वाह! बहुत खूब संगीत संयोजन और ग़ज़ल भी बढ़िया.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंअल्पना जी, सुझाव के लिए धन्यवाद | आगे रिकार्डिंग में मैं इन बातों और बीट्स के वाल्यूम का ध्यान रखूंगा......
हटाएंशुक्रिया प्रसन्न जी.
हटाएंक्या बात है...बहुत उम्दा!! आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंप्रसन्न बदन जी ,कभी मेरे गीत भी इस ब्लॉग पर सुनियेगा और अपनी राय दिजीयेगा .
जवाब देंहटाएंप्रसन्नता होगी .
http://merekuchhgeet.blogspot.ae/2014/05/blog-post_28.html
आभार
बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जवाब देंहटाएंजिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।
क्या बात है !
बहुत खूबसूरत।
जवाब देंहटाएं