बात करते हैं हम मुहब्बत की, और हम नफ़रतों में जीते हैं।
खामियाँ गैर की बताते हैं, खुद बुरी आदतों में जीते हैं।
चाहते हैं सभी बढ़ें आगे, तेज रफ़्तार जिन्दगी की है,
भागते दौड़ते जमाने में, हम बड़ी फ़ुरसतों में जीते हैं।
आज तो ग़म है बेबसी भी है, जिन्दगी कट रही है मुश्किल से,
आने वाला समय भला होगा, हम इन्हीं हसरतों में जीते हैं।
आज के दौर में कठिन जीना और आसान है यहाँ मरना,
कामयाबी बडी़ हमारी है, हम जो इन हालतों में जीते हैं।
चीज जो मिल गई वो मिट्टी है और जो खो गया वो सोना था,
जो ‘अनघ’ चीज मिल नहीं सकती, हम उन्हीं चाहतों में जीते हैं।
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