जब भी मन विचलित होता है।
भावों से सिंचित होता है।
झूठ कहीं पर छिप जाता है,
जब भी सच मुखरित होता है।
कुछ भी अच्छा काम करूँ तो,
क्यों अक्सर बाधित होता है।
बीती बातें याद करूँ जब,
हर छण ज्यूं चित्रित होता है।
सच्चे मन से काम करो तो,
मिलता जो इच्छित होता है।
धारावाहिक अब हैं ऐसे,
कोमल मन दूषित होता है।
कोई अच्छा काम करो तो,
हृदय ‘अनघ’ पुलकित होता है।
Copyright@PBChaturvedi