जाने
कितनों का सपना बस सपना ही रह जाता है।
लक्ष्य नहीं मिलता तो सिर्फ़ तड़पना ही रह जाता है।
लक्ष्य नहीं मिलता तो सिर्फ़ तड़पना ही रह जाता है।
सोच समझकर काम करें तो सब अच्छा होता वरना,
आखिर में बस रोना और कलपना ही रह जाता है।
दौलत ख़त्म हुई तो कोई साथ नहीं फिर देता है,
पूरी दुनिया में तनहा दिल अपना ही रह जाता है।
रोज़ किताबें लिखते हैं वो क्या लिखते मालूम नहीं ?
कैसे लेखक जिनका मक़सद छपना ही रह जाता है !
ऊँचे-ऊँचे पद पर बैठे अधिकारी और ये मंत्री,
लक्ष्य कहो क्यों उनका सिर्फ हड़पना ही रह जाता है !
दुख से उबर जाऊँगा लेकिन प्रश्न ‘अनघ’ ये मथता है,
सोने की क़िस्मत में क्योंकर तपना ही रह जाता है ?
कैसे लेखक जिनका मक़सद छपना ही रह जाता है !
ऊँचे-ऊँचे पद पर बैठे अधिकारी और ये मंत्री,
लक्ष्य कहो क्यों उनका सिर्फ हड़पना ही रह जाता है !
दुख से उबर जाऊँगा लेकिन प्रश्न ‘अनघ’ ये मथता है,
सोने की क़िस्मत में क्योंकर तपना ही रह जाता है ?
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