कुछ बुरे हैं कुछ भले किरदार हैं |
इस जहाँ में फूल हैं कुछ खार हैं |
आप कीचड़ में न पत्थर फेकिए,
राजनीतिक चोट के आसार हैं |
कम पढ़े जो काम करते हैं बहुत,
जो पढ़े हैं काम से लाचार हैं |
चैन से वो झोपड़ी में सो गए,
जागते वो,जिनके बंगले,कार हैं |
मृग ने शावक से कहा जाना नहीं,
उस तरफ इंसान हैं, खूंखार हैं |
असलियत में मित्र कोई भी नहीं,
फेसबुक पर सैकड़ों हैं, हज़ार हैं |
जोड़ने को जब बहुत से एप्स हैं,
तब बिखरने क्यों लगे परिवार हैं |
( काव्योदय के फ़िलबदीह 140 से हासिल )
इस जहाँ में फूल हैं कुछ खार हैं |
आप कीचड़ में न पत्थर फेकिए,
राजनीतिक चोट के आसार हैं |
कम पढ़े जो काम करते हैं बहुत,
जो पढ़े हैं काम से लाचार हैं |
चैन से वो झोपड़ी में सो गए,
जागते वो,जिनके बंगले,कार हैं |
मृग ने शावक से कहा जाना नहीं,
उस तरफ इंसान हैं, खूंखार हैं |
असलियत में मित्र कोई भी नहीं,
फेसबुक पर सैकड़ों हैं, हज़ार हैं |
जोड़ने को जब बहुत से एप्स हैं,
तब बिखरने क्यों लगे परिवार हैं |
( काव्योदय के फ़िलबदीह 140 से हासिल )
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