Copyright@PBChaturvedi प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

ज़िन्दगी जीना बहुत दुश्वार है

ज़िन्दगी जीना बहुत दुश्वार है |
जिसको देखो हाथ में तलवार है |

लूटकर वो पूछने आये हैं हाल,
दोस्तों का अब यही व्यवहार है |
 
देवता लगता है कोई आदमी,
कोई तो शैतान का अवतार है |
 
ज़िन्दगी चलती रही तो ज़िंदगी,
रुक गयी तो मौत की दीवार है |
 
बेटियाँ लाठी बने जब बाप की,
तब सुरक्षित जानिए संसार है |
 
सारी दुनिया ये मिसाइल दागती,
प्यार हिंदुस्तान का हथियार है |
      

( काव्योदय के फ़िलबदीह 140 से हासिल )
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आप सभी को दशहरा की शुभकामनाएं....