बहुत दिनों बाद आज कोई रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ..दरअसल मैं लगभग १ माह नेट से दूर रहा...आशा है आप को अवश्य पसंद आएगी ...
यार नहीं जो काम न आए।
प्यार वही जो साथ निभाए।
आता वक्त बुरा तो अक्सर,
जिससे आशा वो ठुकराए।
दिन में ही कुछ कोशिश कर लो,
जिससे काली रात न आए।
भाई-भाई अब लड़ते हैं,
आपस में ये बात न आए।
तू-तू,मैं-मैं करती दुनिया,
ऐसे तो हालात न आए।
सच पूछो तो वो ही जवां है,
जो मिट्टी का कर्ज़ चुकाए।
यार नहीं जो काम न आए।
प्यार वही जो साथ निभाए।
आता वक्त बुरा तो अक्सर,
जिससे आशा वो ठुकराए।
दिन में ही कुछ कोशिश कर लो,
जिससे काली रात न आए।
भाई-भाई अब लड़ते हैं,
आपस में ये बात न आए।
तू-तू,मैं-मैं करती दुनिया,
ऐसे तो हालात न आए।
सच पूछो तो वो ही जवां है,
जो मिट्टी का कर्ज़ चुकाए।
वक्त 'अनघ' बीतेगा ये जो,
दोबारा फिर हाथ न आए।
दोबारा फिर हाथ न आए।
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