प्रस्तुत है एक रचना जो आशा है कि आप को अवश्य पसन्द आयेगी :-
ना कभी ऐसी कयामत करना।
यार बनकर तू दगा मत करना।
जब यकीं तुमपे कोई भी कर ले,
ना अमानत में ख़यानत करना।
दूसरों की नज़र न तुम देखो,
अपनी नज़रों में गिरा मत करना।
प्यार तुमको मिले जिससे यारों,
तुम कभी उससे जफ़ा मत करना।
वो जो दुश्मन तेरे अपनों का हो,
मिलना चाहे तो मिला मत करना।
जिसके दामन में तेरे आंसू गिरें,
तू कभी उसको ख़फ़ा मत करना।
ना कभी ऐसी कयामत करना।
यार बनकर तू दगा मत करना।
जब यकीं तुमपे कोई भी कर ले,
ना अमानत में ख़यानत करना।
दूसरों की नज़र न तुम देखो,
अपनी नज़रों में गिरा मत करना।
प्यार तुमको मिले जिससे यारों,
तुम कभी उससे जफ़ा मत करना।
वो जो दुश्मन तेरे अपनों का हो,
मिलना चाहे तो मिला मत करना।
जिसके दामन में तेरे आंसू गिरें,
तू कभी उसको ख़फ़ा मत करना।