Copyright@PBChaturvedi प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'

बुधवार, 17 जुलाई 2013

तुम क्या दोगे साथ, किसी का कोई साथ नहीं देता है

प्रस्तुत है एक रचना जो मुझे उम्मीद है आपको अवश्य पसंद आयेगी...

तुम क्या दोगे साथ किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्ची है ये बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |

मतलब की यें बातें हमको आपस में  जोड़े रखती हैं,
हरदम ये हालात किसी का कोई साथ नहीं देता है |

हमने तुमको अपना समझा गलती मेरी  माफ़ करो तुम ,
याद रहेगी बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |

सच्चाई को देर से जाना अपनी ख़ता तो बस इतनी है,
जानी खा कर मात किसी का कोई साथ नहीं देता है |

उम्मीदों  से आते हैं पर खाली हाथ चले जाते हैं,
कह उठते ज़ज्बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |

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