प्रस्तुत है एक रचना जो मुझे उम्मीद है आपको अवश्य पसंद आयेगी...
तुम क्या दोगे साथ किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्ची है ये बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
मतलब की यें बातें हमको आपस में जोड़े रखती हैं,
हरदम ये हालात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
हमने तुमको अपना समझा गलती मेरी माफ़ करो तुम ,
याद रहेगी बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्चाई को देर से जाना अपनी ख़ता तो बस इतनी है,
जानी खा कर मात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
उम्मीदों से आते हैं पर खाली हाथ चले जाते हैं,
कह उठते ज़ज्बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
तुम क्या दोगे साथ किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्ची है ये बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
मतलब की यें बातें हमको आपस में जोड़े रखती हैं,
हरदम ये हालात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
हमने तुमको अपना समझा गलती मेरी माफ़ करो तुम ,
याद रहेगी बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
सच्चाई को देर से जाना अपनी ख़ता तो बस इतनी है,
जानी खा कर मात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
उम्मीदों से आते हैं पर खाली हाथ चले जाते हैं,
कह उठते ज़ज्बात किसी का कोई साथ नहीं देता है |
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