Copyright@PBChaturvedi प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'

गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

कुछ बुरे हैं कुछ भले किरदार हैं

कुछ बुरे हैं कुछ भले किरदार हैं |
इस जहाँ में फूल हैं कुछ खार हैं |

आप कीचड़ में न पत्थर फेकिए,
राजनीतिक चोट के आसार हैं |
 
कम पढ़े जो काम करते हैं बहुत,
जो पढ़े हैं काम से लाचार हैं |
 
चैन से वो झोपड़ी में सो गए,
जागते वो,जिनके बंगले,कार हैं |
 
मृग ने शावक से कहा जाना नहीं,
उस तरफ इंसान हैं, खूंखार हैं |
 
असलियत में मित्र कोई भी नहीं,
फेसबुक पर सैकड़ों हैं, हज़ार हैं |
 
जोड़ने को जब बहुत से एप्स हैं,
तब बिखरने क्यों लगे परिवार हैं | 

( काव्योदय के फ़िलबदीह 140 से हासिल )
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11 टिप्‍पणियां:

  1. बेटे ने बहुत मीठी आवाज़ में रचना को पढ़ा, उसे आशीष. सुन्दर रचना के लिए बधाई.

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  2. सुंदर आह्वान, मतदान जरूर करें और अच्छे को और सच्चे को चुनें...बेटे को खूब सारा प्यार और आशीष ...

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  3. ☆★☆★☆



    प्रांचन प्रणव चतुर्वेदी जी
    वाह ! वाऽह…!
    आप तो अभी से इतने हुनरमंद हैं ...
    पापाजी से भी अधिक नाम करेंगे आप !

    सावधान हो जाइए आदरणीय प्रसन्न बदन चतुर्वेदी जी
    :)
    शानदार
    सुंदर रचना के लिए बाप-बेटे दोनों को साधुवाद
    आपकी लेखनी से सदैव सुंदर श्रेष्ठ सार्थक सृजन होता रहे...

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. बहुत सुन्दर और प्रभावपूर्ण
    मन को छूती हुई
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    आग्रह है----
    और एक दिन

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  5. बहुत सुंदर प्यारभरा आदेश।

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  6. सुंदर आह्वान, मतदान जरूर करें

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  7. ये ऐसा पर्व है जो सभी को मनाना चाहिए ... अपनी आहुति जरूर डालनी चाहिए इस यग्य में ....

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