जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ।
मैं तो केवल इतना सोचूँ।
बालिग होकर ये मुश्किल है,
आओ खुद को बच्चा सोचूँ।
सोच रहे हैं सब पैसों की,
लेकिन मैं तो दिल का सोचूँ।
बातों की तलवार चलाए,
कैसे उसको अपना सोचूँ।
ऊपर वाला भी कुछ सोचे,
मैं ही क्योंकर अपना सोचूँ।
जो भी होगा अच्छा होगा,
मैं बस क्या है करना सोचूँ।
Copyright@PBChaturvedi
बढ़िया! ऐसे ही सोचते रहे....
जवाब देंहटाएंबालिग होकर ये मुश्किल है,
जवाब देंहटाएंआओ खुद को बच्चा सोचूँ।
आपके सोच को सलाम
अच्छी सोच है भाई। जारी रखें।
जवाब देंहटाएंacchee soch to jeevan aadhar hai . bahut khoob .
जवाब देंहटाएंप्रसन्न जी,
जवाब देंहटाएं"ऊपर वाला भी कुछ सोचे,
मैं ही क्योंकर अपना सोचूँ।
जो भी होगा अच्छा होगा,
मैं बस क्या है करना सोचूँ।"
आप आच्छा ख़ासा सोच लेते है
बहुत सुन्दर रचना. अति उत्तम
आशु
ek aur achhi rachna aapki chaturvedi ji....
जवाब देंहटाएंboht badhiya...
सोच रहे हैं सब पैसों की,
जवाब देंहटाएंलेकिन मैं तो दिल का सोचूँ ...
लाजवाब शेर है .... खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है ..........
अच्छी सोंच है.
जवाब देंहटाएंक्या बात है प्रसन्न साब...मजा आ गया। लाजवाब ग़ज़ल बुनी है सर। छोटी बहर पे कयामत ढ़ाते अशआर...वाह! वाह!!
जवाब देंहटाएंमतला तो खूब भाया ही लेकिन ये शेर लिये जा रहा हूं संग में "बालिग होकर ये मुश्किल है,
आओ खुद को बच्चा सोचूँ" ।
सही सोच है चतुर्वेदी जी!
जवाब देंहटाएंBahut achha sir Ji.....
जवाब देंहटाएंaisi soch rakhenge to kabhi tension nahi hogi...ye sandesh deti apki rachna acchhi lagi.
जवाब देंहटाएंसर जी मेरे ब्लॉग पर आने और एक सुंदर सी टिप्पणी के लिए धन्यवाद. वैसे मेरा भी यही सोचना है की सब कुछ मैं ही क्यों करूँ कुछ भगवान को भी कर लेना चाहिए.खली ही तो बैठे हैं .उनका भी टाइम पास हो जायेगा.पर बच्चा बनना वाकई मुश्किल काम है
जवाब देंहटाएंसदर रचना
waah kya sher kahen hai
जवाब देंहटाएंbas itna sochun
bachcha sochun
har sher kamaal
बहुत दिन हुए, नई पोस्ट क्यों नही डाली आपने?
जवाब देंहटाएंसकारात्मक रचना । जो भी होगा अच्छा होगा ।सब लोग पैसों की तरफ़ ध्यान दे मै दिल की तरफ़ । बहुत भावपूर्ण रचना है
जवाब देंहटाएंजो भी होगा अच्छा होगा,
जवाब देंहटाएंमैं बस क्या है करना सोचूँ।
bahut khoob
बालिग होकर ये मुश्किल है,
आओ खुद को बच्चा सोचूँ।
badhia rachna. badhaai..
सोच रहे हैं सब पैसों की,
जवाब देंहटाएंलेकिन मैं तो दिल का सोचूँ।
बातों की तलवार चलाए,
कैसे उसको अपना सोचूँ।
बहुत खूब सूरत सोच है । गणत्न्त्र दिवस की शुभ कामनायें
बहुत सुन्दर रचना! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंअद्भुत! दिल को छूते विचारों का ब्लॉग।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें
Sundar soch...behatrin rachna..badhai.
जवाब देंहटाएंब्लाग पर आना सार्थक हुआ
जवाब देंहटाएंकाबिलेतारीफ़ प्रस्तुति
आपको बधाई
सृजन चलता रहे
साधुवाद...पुनः साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
achchi lagi .
जवाब देंहटाएंChaturvedi Ji,
जवाब देंहटाएंYour Gazals have changed our mindset about you. Your creations are due to be composed and released. MY REQUEST : Make atleast one composition to be recorded. Out help is always for you. Let the people out of your circle listen your talent.
Kapil