प्रस्तुत है एक आत्मविश्लेषणात्मक ग़ज़ल ( बहर :-फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फा ) :-
औरों से तो झूठ कहोगे, ख़ुद को क्या समझाओगे।
तनहाई में जब तुम ख़ुद से, अपनी बात चलाओगे।
झूठ, फरेब, दगाबाजी, नफरत, बेइमानी, मक्कारी,
करते हो, छलते हो सबको; पर कबतक छल पाओगे।
कुछ लम्हें ऐसे आते हैं, इन्सां जब पछताता है,
ऐसे लम्हें जब आयेंगे, तुम भी बहुत पछताओगे।
जीने की खातिर दुनिया में, तुम ये करते हो माना,
लेकिन औरों को दुख देकर, क्या सुख से जी पाओगे।
चोट किसी को देते हो खुश होते हो लेकिन सुन लो,
खुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
जान बचाने में जो सुख है, कोई कातिल क्या जाने,
तुम ये ‘अनघ’ करके देखो तो, एक नया सुख पाओगे।
Copyright@PBChaturvedi
अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।
जवाब देंहटाएंkya baat hai!!
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंचोट किसी को देते हो खुश होते हो लेकिन सुन लो,
जवाब देंहटाएंखुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
Bahut Umda...
वाह!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना बधाई ....
जवाब देंहटाएंसटीक कथ्य की बहुत सहज रूप में प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंऔरों से तो झूठ कहोगे, ख़ुद को क्या समझाओगे।
जवाब देंहटाएंतनहाई में जब तुम ख़ुद से, अपनी बात चलाओगे।
प्रसन्न बदन चतुर्वेदी साहब,खूब सूरत मतला ,makte का भी ज़वाब नहीं .पहली मुलाकत में ही आपके मुरीद हो गए ,
झूठ, फरेब, दगाबाजी, नफरत, बेइमानी, मक्कारी,
जवाब देंहटाएंकरते हो, छलते हो सबको; पर कबतक छल पाओगे।
जीने की खातिर दुनिया में, तुम ये करते हो माना,
लेकिन औरों को दुख देकर, क्या सुख से जी पाओगे।
चोट किसी को देते हो खुश होते हो लेकिन सुन लो,
खुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
..bahut sundar sarthak prastuti..
ekdam man tak pahunch gayee......
जवाब देंहटाएंकुछ लम्हें ऐसे आते हैं, इन्सां जब पछताता है,
जवाब देंहटाएंऐसे लम्हें जब आयेंगे, तुम भी बहुत पछताओगे।
... सुंदर गज़ल ...बहुत उम्दा सोच..
जीने की खातिर दुनिया में, तुम ये करते हो माना,
जवाब देंहटाएंलेकिन औरों को दुख देकर, क्या सुख से जी पाओगे।
अच्छी गज़ल
बहुत बढिया गजल है। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी गजल है ... बधाई...
जवाब देंहटाएंवाह! आजकल सक्रीय हैं। पढ़कर खुशी हुई।
जवाब देंहटाएंखूब कहा है. सुंदर ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंमनभावन ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
जीने की खातिर दुनिया में, तुम ये करते हो माना,
जवाब देंहटाएंलेकिन औरों को दुख देकर, क्या सुख से जी पाओगे।
अच्छे भाव, अच्छी शायरी।
जान बचाने में जो सुख है, कोई कातिल क्या जाने,
जवाब देंहटाएंतुम ये करके देखो कातिल, एक नया सुख पाओगे।
beautiful lines.
जीवन संघर्ष ही तो है ! इसे जीने की कला चाहिए ! बहुत सुन्दर ! बधाई चतुर्वेदी जी !
जवाब देंहटाएंऔरों से तो झूठ कहोगे, ख़ुद को क्या समझाओगे।
जवाब देंहटाएंतनहाई में जब तुम ख़ुद से, अपनी बात चलाओगे।
मतला कमाल का है । बहुत अच्छी ग़ज़ल ।
निश्चित ही सराहनीय गजल.....
जवाब देंहटाएंखुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
जवाब देंहटाएंग़ज़ल क्या है जीवन जीने का फलसफा है
जो बाँध ले गाँठ हो जाये जीवन सुफला है ....
waah
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना । गायन सुनकर एकबारगी तो लगा कि किसी बहुत पुरानी फिल्म का गीत है । ब्लाग पर आए अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सामयिक गज़ल....
जवाब देंहटाएंहर शेर दाद के काबिल है....!!
"झूठ, फरेब, दगाबाजी, नफरत, बेइमानी, मक्कारी,
जवाब देंहटाएंकरते हो, छलते हो सबको; पर कबतक छल पाओगे"
आंखिर कब तक ! ......
सार्थक भाव....आभार.
बहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंहम सबका जीवन ऐसा ही है। परन्तु जीवन का स्पंदन आपके इन अनुभवों में ही है।
जवाब देंहटाएंपहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर...
जवाब देंहटाएंऔर वो भी सार्थक रहा.....
कई रचनाएं पढ़ीं...और सब की सब बेहतरीन....!!
चोट किसी को देते हो खुश होते हो लेकिन सुन लो,
जवाब देंहटाएंखुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
जान बचाने में जो सुख है, कोई कातिल क्या जाने,
तुम ये करके देखो कातिल, एक नया सुख पाओगे।
vah bhai chaturvedi ji bilkul maja gaya .....bilkul shandar gajal.
चोट किसी को देते हो खुश होते हो लेकिन सुन लो,
जवाब देंहटाएंखुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
जान बचाने में जो सुख है, कोई कातिल क्या जाने,
तुम ये करके देखो कातिल, एक नया सुख पाओगे।
वाह वाह जीवन का सार समझा दिया इस गज़ल ने ।
बेहतरीन ।
जीने की खातिर दुनिया में, तुम ये करते हो माना,
जवाब देंहटाएंलेकिन औरों को दुख देकर, क्या सुख से जी पाओगे।
........... बेहतरीन प्रस्तुति हेतु आभार.....
सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंइस ग़ज़ल का हर एक शेर नगीना है .... इस शेर की जितनी दाद दी जाये उतनी ही कम....
जवाब देंहटाएंचोट किसी को देते हो खुश होते हो लेकिन सुन लो,
खुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
bahut hi sunder gazal
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
bahut khoob,
जवाब देंहटाएंसभी शेर बहुत अच्छे. अर्थपूर्ण और संदेशप्रद. शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है....
जवाब देंहटाएंदर्द देने में मजा कहा...
दर्द बांटने मे मजा है..
बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति.....
खुद को धोखा देना मुमकिन नहीं।
जवाब देंहटाएंचोट किसी को देते हो खुश होते हो लेकिन सुन लो,
जवाब देंहटाएंखुश ज्यादा होओगे किसी के, चोट को जब सहलाओगे।
बहुत सार्थक आत्मविश्लेषण...
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार.
बेहद खूबसूरत गज़ल....
जवाब देंहटाएंहर शेर लाजवाब...
दरअसल पूरा ब्लॉग काबिले तारीफ़...
आज पहली बार आना हुआ..
सादर.
अनु
बहुत ही लाजवाब गज़ल ... हर शेर छा गया ... सीधे दिल को जाती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ग़ज़ल,बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत हि बढिया गज़ल जो आत्म विष्लेषण के लिए उत्प्रेरित कर रही है|
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग पर आपकी टिपण्णी पर आपको क्लिक किया और यहाँ मुझे खजाना मिल गया
पूरा का पूरा ब्लॉग जोरदार है|आपके मुखाग्र वृन्द से गाए गीत गज़ल एवं भजन
पूरी तरह भाव विभोर कर देने वाली है|
mast gr8 bahu badiya likha hai sir
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