Copyright@PBChaturvedi प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'

बुधवार, 17 मार्च 2010

जब भी मन विचलित होता है

जब भी मन विचलित होता है।
भावों से सिंचित होता है।

झूठ कहीं पर छिप जाता है,
जब भी सच मुखरित होता है।

कुछ भी अच्छा काम करूँ तो,
क्यों अक्सर बाधित होता है।

बीती बातें याद करूँ जब,
हर छण ज्यूं चित्रित होता है।

सच्चे मन से काम करो तो,
मिलता जो इच्छित होता है।

धारावाहिक अब हैं ऐसे,
कोमल मन दूषित होता है।

कोई अच्छा काम करो तो,
हृदय ‘अनघ’ पुलकित होता है। 

Copyright@PBChaturvedi

20 टिप्‍पणियां:

  1. चतुर्वेदी जी,
    बहुत अच्छा लगा आपकी यह रचना पढ़ के!
    आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहता है मुझे और जब भी आप लिखते हैं तो गज़ब लिखते हैं!
    आभार!

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  2. हाय... यह नामुराद मन विचलित क्यों होता है.. बेहतरीन

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  3. कुछ भी अच्छा काम करूँ तो,
    क्यों अक्सर बाधित होता है
    waah kya baat kahi hai..bahut sundar geet.

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  4. बहुत दिनों बाद आपको ब्लॉग में एक अच्छी गज़ल के साथ देख कर मन प्रसन्न हो गया. ये शेर खासा अच्छा है...
    कोई अच्छा काम करो तो,
    हृदय बहुत पुलकित होता है।
    ..यह शेर बता रहा कि आप अच्छा काम कर रहे हैं.
    आपने पूछा आप कैसे हैं तो आप के ही अंदाज में..

    हम जैसे थे वैसे हैं
    अपनी कहो अब तुम कैसे हो !

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  5. बहुत ही सुन्दर गजल है!
    गजल लिखनें में आप सिद्धहस्त हैं!

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  6. झूठ कहीं पर छिप जाता है,
    जब भी सच मुखरित होता है।

    baut sunder.

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  7. bahut sundar bhav aur shabdon me saji basi ghazal......excellent simply !

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  8. जब भी दिल से याद करूँ तो
    प्रसन्न झट प्रकट होता है .....

    सच.... मैं याद ही कर रही थी की वकील साहब किधर गायब हो गए .....!!

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  9. एक संवेदनापूर्ण ग़ज़ल..विचलित मन के भावों को स्वर देती..खासकर यह पंक्तियाँ
    कुछ भी अच्छा काम करूँ तो,
    क्यों अक्सर बाधित होता है

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  10. कोई अच्छा काम करो तो,
    हृदय बहुत पुलकित होता है।
    बहुत सुन्दर!
    'जीवन की सच्चाई बताती हुई बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है.

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  11. अच्छे काम के प्रारंभ में बाधाएं आना और पुरानी बात याद आने पर पुराने चित्र उभर आना | सच के आने पर झूंठ का गायव हो जाना और अच्छे दिल से काम करने पर मन का प्रसन्न होना |बहुत अच्छी रचना |वाकई सच्चे मन से अच्छा काम करने पर चाहा हुआ फल अवश्य ही प्राप्त होता है

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  12. बहुत अच्छी ग़ज़ल है .. लाजवाब शेर हैं ...

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  13. झूठ कहीं पर छिप जाता है,
    जब भी सच मुखरित होता है।

    कुछ भी अच्छा काम करूँ तो,
    क्यों अक्सर बाधित होता है। achhe aur sachhe sher hain.nice.yahan bhi tashreef layen-http://kavitakiran.blogspot.com/

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  14. बीती बातें याद करूँ जब,
    हर छण ज्यूं चित्रित होता है।


    BAHUT KHUB .KUCH PURANI BATE AAJ BAHUT YAD AAYI VO PAHADE RATANA , VO OLHA-PATI KHELNA.AUR BHI BAHUT KUCH...... vishnuPrabhakar..........upadhayay101@yahoo.com

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  15. इसे पढ़के मिला जो सुख उसे मैं कह नहीं सकता।
    बिना बांधे, सही तारीफ के पुल रह नहीं सकता।
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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  16. जब भी मन विचलित होता है।
    भावों से सिंचित होता है।

    झूठ कहीं पर छिप जाता है,
    जब भी सच मुखरित होता है।
    Waise to sabhi panktiyan bahut sundar hain,par ye kuchh khaas hi lageen!

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  17. 'कोई अच्छा काम करो तो,
    हृदय बहुत पुलकित होता है।'

    - इसी भावना की आवश्यकता है आज.

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  18. आज पहली बार आप के ब्लॉग पर आई हूं और आप की कई रचनाएं पढ़ लीं ग़ज़लें ,भजन ,
    बहुत अच्छा लिखते हैं आप ,बधाई स्वीकार करें

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  19. झूठ कहीं पर छिप जाता है,
    जब भी सच मुखरित होता है।

    Sach ke aage jhooth kab tak tikega?

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