Copyright@PBChaturvedi प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'

रविवार, 27 सितंबर 2009

जो है सच्ची वही खुशी रखिये

संभवत: ३०-०९-०९ को १५ दिनों के लिए दिल्ली जाना हो,इस कारण हो सकता है कि अगला पोस्ट वहीं से प्रस्तुत करुँ | तब तक ये ग़ज़ल प्रस्तुत है....

जो है सच्ची वही खुशी रखिए।
सीधी-सादी सी ज़िन्दगी रखिए ।

जो बुरे दिन में काम आते हों,
ऐसे लोगों से दोस्ती रखिए।

वक्त जब भी लगे अंधेरे में,
साथ यादों की रौशनी रखिए।

ग़म ये कहना सभी से ठीक नहीं,
राज अपना ये दिल में ही रखिए।

चीज कोई जो तुमको पानी हो,
चाहतों में दीवानगी रखिए।

दोस्ती दुश्मनी न बन जाये,
अपने काबू में दिल्लगी रखिए।

लुत्फ़ तब दुश्मनी का आयेगा,
साथ कांटों के फूल भी रखिए।

देवता आप मत ‘अनघ’ बनना,
आप अपने को आदमी रखिए।

Copyright@PBChaturvedi

23 टिप्‍पणियां:

  1. वाह,सुंदर ग़ज़ल में समाहित सुंदर संदेश..
    बढ़िया ग़ज़ल...बधाई..

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  2. बहुत खूब सुन्दर सीख है गज़ल मे
    कहने का अन्दाज भी सादगीभरा और प्रभावी

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  3. जो है सच्ची वही खुशी रखिए
    सीधी-सादी सी ज़िन्दगी रखिये

    बहुत बढ़िया गजल चतुर्वेदी जी .आभार

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  4. बहुत ही अच्छा सन्देश देती ग़ज़ल , वाह!!

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  5. सबसे ज्यादा जरुरी बात आपने कह डाली ......बाजार जितना ही हावी हो रहा है उतनी ही खुशियाँ कम होती जा रही है!बेहद सुन्दर सन्देश!

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  6. चतुर्वेदी जी,
    बड़ी-बड़ी बातें बड़ी सादगी से कह गए.
    बधाई

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  7. दोस्ती दुश्मनी न बन जाये,
    अपने काबू में दिल्लगी रखिए।

    बस यही इक भूल हो जाती है.

    अच्छे भाव. अति सुन्दर.

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  8. क्या बात हैं। बहुत ही सुन्दर , भावनाओं को समेटे लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई

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  9. वाह! वाह!! बहुत सुन्दर!

    जो है सच्ची वही खुशी रखिए।
    सीधी-सादी सी ज़िन्दगी रखिये ।

    देवता आप मत बनें यारों,
    आप अपने को आदमी रखिए।

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  10. गम ये कहना सभी से कहना ठीक नहीं
    राज़ अपना ये दिल में ही रखिये......

    बेहद पसंद आया.

    हार्दिक बधाई.
    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  11. वक्त जब भी लगे अंधेरे में,
    साथ यादों की रौशनी रखिए।

    bahut sahi baat kahi hai aapne..........

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  12. देवता आप मत बनें यारों,
    आप अपने को आदमी रखिए।
    - अपनेआप में आदमी बने रहना ही बहुत मुश्किल मगर वांछनीय काम है.

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  13. बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर बात कह गए पंडितजी। अपने काबू में दिल्लगी रखिए। अहा!

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  14. जो है सच्ची वही खुशी रखिए।
    सीधी-सादी सी ज़िन्दगी रखिये ।

    देवता आप मत बनें यारों,
    आप अपने को आदमी रखिए।

    सीधी साधी भाषा में जीवन के गुण समझा दिए आपने !

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  15. zabardast gazal
    जो है सच्ची वही खुशी रखिए।
    सीधी-सादी सी ज़िन्दगी रखिये ।umda

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  16. देवता आप मत बनें यारों,
    आप अपने को आदमी रखिए।
    अति सुन्दर

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  17. दोस्ती दुश्मनी न बन जाये,
    अपने काबू में दिल्लगी रखिए।

    बहुत खूबसूरत लिखा है आपने भई.और कितनी सच्ची बात कही है..वल्लाह.

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  18. तो अब क्‍या हम पहले अपने ही मित्रों का बुरा चाहें

    फिर दिल खोलकर उनके बुरे दिनों में साथ निभायें

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  19. charutvediji
    sidhi sadi si jindagi rakhiye
    bahut achhi pankti lagi poori ghazal achhi hai.
    jeete rahiye likhate raahiye
    akela

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  20. acche sandesh detee hai aapkee ye gazal aur badee aatmiyata ke sath . bada accha laga aapke blog par aakar .
    comment ke liye dhanyvad .

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