है कठिन इस जिंदगी के हादसों को रोकना ।
मुस्कराहट रोकना या आसुओं को रोकना ।
वक्त कैसा आएगा आगे न जाने ये कोई ,
इसलिए मुश्किल है शायद मुश्किलों को रोकना ।
मंजिलों की ओर जाने के बने हैं वास्ते,
इसलिए मुमकिन नहीं है रास्तों को रोकना ।
इनको होना था तभी तो हो गए होते गए ,
चाहते तो हम भी थे इन फासलों को रोकना ।
दोस्तों के रूप में अक्सर छुपे रहते ‘अनघ’,
इसलिये आसां नहीं है दुश्मनों को रोकना ।
Copyright@PBChaturvedi
***** पुराने ब्लॉगों, पत्रिकाओं, अख़बारों में प्रकाशित एवं कुछ नई गज़लें *****
Copyright@PBChaturvedi प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'
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शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
है कठिन इस जिंदगी के हादसों को
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चतुर्वेदी जी,बहुत सुन्दर गज़ल है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar nazam hai .........
जवाब देंहटाएंbaभुत सुन्दर गज़ल बधाई
जवाब देंहटाएंमैं ग़ज़ल की व्याकरण बहुत ज्यादा नहीं जानता.....मैं दिल से सोचता हूँ....और उसी से लखता भी हूँ......मात्रा-छंद आदि मुझे नहीं आते.....मगर जितना भी मैं जानता हूँ.....उसकी कसौटी पर आपकी ग़ज़लें मुझे बहुत-बहुत-बहुत भा गयीं...सच....आप अद्भुत लिखते हो प्रस्सन जी.....!!
जवाब देंहटाएंहै कठिन इस जिंदगी के हादसों को रोकना ।
जवाब देंहटाएंमुस्कराहट रोकना या आसुओं को रोकना ।
bahut khoob....!!
अच्छा सन्देश देती शानदार ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंपरन्तु ग़ज़ल के एक शेर की निम्न पंक्तियों ..............
इनको होना था तभी तो हो गए होते गए ,
में दो बार "गए" शब्द का प्रयोग समझ न सका, कहीं टाइपिंग त्रुटी तो नहीं?
बेहतर गजल । इधर पढ़ नहीं पाया था, पर अब नियमित हूँ । आभार ।
जवाब देंहटाएंहलाकि हम भी ग़ज़ल का व्याकरण नहीं जानते परन्तु आपकी रचना मन को भा गयी. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई. सारे शेर एक से बढकर एक.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और उम्दा ग़ज़ल लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंमुश्किल है चीजों को होने से रोकन. ठीक उसी तरह से आपको भी अच्छी गज़ल कहने से रोकना. बहुत अच्छा लिखा है आपने. मेरी बधाई आपको. ऐसे ही लिखते रहे.
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