आप की जब थी ज़रूरत, आप ने धोखा दिया।
हो गई रूसवा मुहब्बत, आप ने धोखा दिया।
बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।
खुद से ज्यादा आप पर मुझको भरोसा था कभी;
झूठ लगती है हकीकत, आप ने धोखा दिया।
दिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
हम करें किससे शिकायत, आप ने धोखा दिया।
पार जो करता 'अनघ' माझी, डुबाने क्यों लगा;
कर अमानत में ख़यानत, आप ने धोखा दिया।
हो गई रूसवा मुहब्बत, आप ने धोखा दिया।
बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।
खुद से ज्यादा आप पर मुझको भरोसा था कभी;
झूठ लगती है हकीकत, आप ने धोखा दिया।
दिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
हम करें किससे शिकायत, आप ने धोखा दिया।
पार जो करता 'अनघ' माझी, डुबाने क्यों लगा;
कर अमानत में ख़यानत, आप ने धोखा दिया।
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kya baat hai . lagta hai gajlo ke bahut saukin hai .
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
दिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
जवाब देंहटाएंहम करें किससे शिकायत,आप ने धोखा दिया।
अच्छा लिखा है आपने और सत्य भी , शानदार लेखन के लिए धन्यवाद ।
चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत अच्छी गज़ल थी, बहुत अच्छा गला आपके ब्लाग पर आ कर भी।
जवाब देंहटाएंदिल मे रहकर आप का ये दिल हमारा तोड़ना;
जवाब देंहटाएंहम करें किससे शिकायत,आप ने धोखा दिया।
bahut khoob!!
ठान ले तो जर्रे जर्रे को थर्रा सकते है । कोई शक । बिल्कुल नही .....
जवाब देंहटाएंबेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया....
bahut badhiya sir gaate aur gungunaate rahiye..
बहुत शानदार !!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखा है!
मुझे ज़िन्दगी से गिला ऱहा,
जवाब देंहटाएंमेरी ज़िन्दगी से बनी नहीं,
मैं खडा हूं ऐसे मकाम पर,
जहां हसरतों की कमी नही...