Copyright@PBChaturvedi प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'

शनिवार, 11 जुलाई 2009

दिल का कहना जरूर माना करो

दिल का कहना जरूर माना करो।
ख़ुद को ख़ुद से ख़फ़ा किया ना करो।

चीज कोई अगर तुम्हें चाहिए ,
ख़ुद को उसके लिए दीवाना करो।

जब भला तुम किसी का कर न सको ,
तुम किसी का कभी बुरा ना करो।

आजमाते रहे इसे क्यों भला,
बन्द अब दिल को आजमाना करो।

झूठी तारीफ़ सामने जो करे,
उसको अपना कभी न जाना करो।

तुममें भी है खुदा यकीं ये करो,
तुम ‘अनघ’ यूं  खु़दा-खु़दा ना करो।

Copyright@PBChaturvedi

11 टिप्‍पणियां:

  1. जब भला तुम किसी का कर न सको ,
    तुम किसी का कभी बुरा ना करो।
    बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह जी बहुत सुन्दर, अगर कुछ पाना है तो उसके लिए अपने आप को दीवाना करना बहुत जरुरी है!!

    जवाब देंहटाएं
  3. वकील साहेब |सुनो सब की करो मनकी _कुछ पाना है तो उस हेतु अपने को समर्पित करदो _किसी का बुरा मत करो _अपने आप को कहाँ तक आजमाओगे_झूंठी तारीफ मत सुनो और अपने अन्दर ही ईश्वर को तलाशो |सुंदर ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं
  4. चीज कोई जो तुमको पानी है ,
    ख़ुद को उसके लिए दीवाना करो

    कुछ paane के लिए......deevaangi jaroori है............ लाजवाब लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  5. जब भला तुम किसी का कर न सको ,
    तुम किसी का कभी बुरा ना करो।
    बहुत अच्छी सीख दी है आपने....बेहतरीन ग़ज़ल...बधाई..
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर ग़ज़ल है.
    तुममें भी इक खु़दा तो रहता है,
    तुम हमेशा खु़दा-खु़दा ना करो।
    ये शेर बहुत पसंद आया.

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर ग़ज़ल के सभी शेर पसंद आये.
    बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  8. 'तुममें भी इक खु़दा तो रहता है,
    तुम हमेशा खु़दा-खु़दा ना करो। '
    -बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह क्या बात है! ग़ज़ल के सभी शेर मुझे बेहद पसंद आया! लिखते रहिये!

    जवाब देंहटाएं
  10. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

    हमेशा की तरह उत्कृष्ट रचना...बधाई स्वीकारें...



    नीरज

    जवाब देंहटाएं