सच बताया ये दोष मेरा था।
ग़म उठाया ये दोष मेरा था।
दर्द से रोना चाहिये था मुझे,
मुस्कुराया ये दोष मेरा था।
सर झुकाना नहीं था मुझको जहाँ,
सर झुकाया ये दोष मेरा था।
नफ़रतों का जहान है फ़िर भी,
दिल लगाया ये दोष मेरा था।
दोस्तों के भी दुश्मनों के भी,
काम आया ये दोष मेरा था।
यार रूठे न 'अनघ' इस खातिर,
सब लुटाया ये दोष मेरा था।
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दर्द से रोना चाहिये था मुझे,
जवाब देंहटाएंमुस्कुराया ये दोष मेरा था।
लाजवाब है हर शेर...........पर इसका जवाब नहीं